किसी भी भवन का वास्तु सबसे प्रधान होता है। यही तय करता है कि इस भवन में रहने वालों के क्या दशा-दिशा होगी। इसलिए वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ साधारण नियमों को मानना ही चाहिए।
वास्तु शास्त्र एक अत्यंत प्रमाणित प्राचीन विद्या है। लेकिन कई बार लाख सावधानी बरतने पर भी किसी भवन में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं। तो प्रस्तुत हैं वास्तु शास्त्र के मूल नियम और सावधानियां जिनका पालन कर सुख-समृद्धि से रहा जा सकता है।
घर के मुख्य द्वार के सामने देवी-देवताओं के मंदिर नहीं होने चाहिए, न ही घर के पीछे मंदिर की छाया पड़नी चाहिए।
मुख्य द्वार की चौड़ाई उसकी ऊंचाई की आधी होनी चाहिए।
घर का मुख्य द्वार और पिछला द्वार एक सीध में कदापि नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार सदा साफ सुथरा रखें।
मकान बनाते समय हवा एवं धूप का विशेष ध्यान रखना चाहिए। निर्माण इस तरह होना चाहिए कि हवा और धूप सर्दी और गर्मी में आवश्यकता के अनुरूप प्राप्त होती रहें।
Read more here other post
Gurujishailesh.blogspot.com
Comments